User:Knowledge point By Abhay Maurya/sandbox
Submission declined on 22 February 2025 by 2NumForIce (talk). The submission appears to be written in Hindi. This is the English language Wikipedia; we can only accept articles written in the English language. Please provide a high-quality English language translation of your submission. Otherwise, you may write it in the Hindi Wikipedia. This submission reads more like an essay than an encyclopedia article. Submissions should summarise information in secondary, reliable sources and not contain opinions or original research. Please write about the topic from a neutral point of view in an encyclopedic manner.
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Comment: (Google Translate used) Last paragraph appears to be more in essay style rather than the encyclopedic NPOV. ~~2NumForIce (speak|edits) 01:49, 22 February 2025 (UTC)
बरहवीं का प्यार कृष्णा और अनुष्का की मुलाकात कक्षा 5 में हुई थी। दोनों अज़मगढ़ के प्रसिद्ध क्राइस्ट इंटर कॉलेज में पढ़ते थे। बचपन से ही दोनों के बीच एक खास रिश्ता था। वे अच्छे दोस्त थे, लेकिन बचपन की मासूमियत में उन्हें यह समझ नहीं आया कि यह दोस्ती से ज्यादा कुछ और भी हो सकता है। कृष्णा के दोस्त अनुराग, गौरव, रंजीत और विकास उसे हमेशा चिढ़ाते थे कि वह अनुष्का को पसंद करता है, लेकिन कृष्णा हमेशा इसे मजाक में टाल देता। उधर, अनुष्का की सहेलियां आदिति, आकांक्षा, उजाला और रिया उसे कृष्णा के बारे में छेड़ती थीं।
समय बीतता गया और दोनों कक्षा 11 में आ गए। अब दोनों पहले से ज्यादा एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। लेकिन किसी ने भी अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटाई। स्कूल के अंकित सर (भौतिकी के अध्यापक) और राहुल सर (रसायन शास्त्र के अध्यापक) हमेशा उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह देते थे, लेकिन कृष्णा के लिए अब पढ़ाई में मन लगाना मुश्किल होता जा रहा था। उसे सिर्फ अनुष्का की बातें याद आती थीं।
जब कक्षा 12 शुरू हुई, तो कृष्णा को महसूस हुआ कि अनुष्का अब पहले जैसी नहीं रही। वह पहले की तरह हंसती-बोलती नहीं थी और अब वह सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही थी। उसने ठान लिया था कि उसे स्कूल की टॉपर बनना है और अपने भविष्य को संवारना है।
कृष्णा के लिए यह बहुत कठिन समय था। वह अब भी अनुष्का को उतना ही प्यार करता था, लेकिन अनुष्का की बेरुखी उसे बहुत तकलीफ देती थी। वह पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पा रहा था और इसका असर उसके अंकों पर पड़ा। जो कृष्णा हमेशा क्लास का टॉपर रहता था, वह अब औसत छात्र बन चुका था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। वह कई बार अनुष्का से बात करने की कोशिश करता, लेकिन अनुष्का हमेशा उसे टाल देती।
बारहवीं की परीक्षाएं खत्म हुईं और परिणाम आया। अनुष्का अपने लक्ष्य को पाने में सफल रही और उसने पूरे स्कूल में टॉप किया। दूसरी ओर, कृष्णा का प्रदर्शन बहुत खराब रहा और वह अपने भविष्य को लेकर असमंजस में था।
इसके बाद दोनों अपनी-अपनी राहों पर चल पड़े। अनुष्का ने बीएससी की पढ़ाई की और बाद में डॉक्टर बन गई, जबकि कृष्णा ने आईएएस बनने की ठानी। पहले तो उसे बहुत पछतावा हुआ कि उसने अपना कीमती समय बर्बाद कर दिया, लेकिन फिर उसने ठान लिया कि वह खुद को एक बार फिर साबित करेगा
कृष्णा ने पूरी लगन से UPSC की तैयारी शुरू कर दी। उसने अपनी असफलताओं से सीखा और पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद आईएएस परीक्षा पास कर ली और डीएम बन गया। अब वह वही टॉपर कृष्णा बन चुका था जिसे लोग एक समय बहुत होशियार मानते थे। लेकिन इस बार उसने अपने दर्द को अपनी ताकत बना लिया था।
कई साल बाद, जब कृष्णा एक सरकारी अस्पताल का दौरा कर रहा था, तो उसकी मुलाकात एक डॉक्टर से हुई। वह डॉक्टर और कोई नहीं, अनुष्का थी। उसने जैसे ही कृष्णा को देखा, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। वह सोच भी नहीं सकती थी कि वह लड़का जो कभी उसके पीछे-पीछे घूमता था, आज इतना बड़ा अधिकारी बन चुका है।
अनुष्का को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसे महसूस हुआ कि अगर उसने कृष्णा का साथ दिया होता, तो शायद वे दोनों आज साथ होते। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। अनुष्का की शादी हो चुकी थी और वह अपनी अलग जिंदगी जी रही थी। उसने कृष्णा से माफी मांगी, लेकिन कृष्णा सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया। वह अब आगे बढ़ चुका था।
कहानी से सीख
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि प्यार अगर सही दिशा में हो, तो इंसान को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। लेकिन अगर प्यार को लेकर भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाया जाए, तो वह हमें बर्बाद भी कर सकता है। इसलिए जीवन में हमेशा सही प्राथमिकताओं को चुनना चाहिए और अपने भविष्य को संवारने के लिए मेहनत करनी चाहिए।
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लेखक: अभय मौर्या