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review of wings of fire book in hindi विंग्स ऑफ फायर: एक आत्मकथा – समीक्षा
"विंग्स ऑफ फायर" (Wings of Fire) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की आत्मकथा है, जिसे उन्होंने अरुण तिवारी के साथ मिलकर लिखा था। यह पुस्तक 1999 में प्रकाशित हुई और यह भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डॉ. कलाम के जीवन की प्रेरणादायक कहानी प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक केवल उनकी जीवनी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, मेहनत और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। इसमें उनके जीवन की कठिनाइयों, उपलब्धियों और भारत के अंतरिक्ष एवं रक्षा अनुसंधान में उनके योगदान को दर्शाया गया है। यह पुस्तक विज्ञान, स्वदेशी तकनीक, और नवाचार को महत्व देने वाले हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
पुस्तक का सारांश
इस आत्मकथा को चार भागों में विभाजित किया गया है – (1) बचपन, (2) छात्र जीवन, (3) कार्य जीवन और (4) भारत के रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में योगदान।
1. बचपन: डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था। उनका परिवार साधारण था, लेकिन उन्होंने बचपन में ही अनुशासन, सादगी और परिश्रम की शिक्षा ग्रहण की। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और माता आशिअम्मा एक गृहिणी। आर्थिक रूप से साधारण परिवार से होने के बावजूद उनके माता-पिता ने उन्हें अच्छे संस्कार और शिक्षा की प्रेरणा दी।
2. छात्र जीवन: कलाम बचपन से ही विज्ञान और गणित में रुचि रखते थे। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक किया और फिर मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यह दौर उनके लिए संघर्षों से भरा रहा, क्योंकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
3. कार्य जीवन: अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कलाम ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक के रूप में कार्य शुरू किया। बाद में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) से जुड़े और भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-III) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम को गति दी और "अग्नि" और "प्रथ्वी" जैसी मिसाइलों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई। उनके इस योगदान के कारण उन्हें "मिसाइल मैन ऑफ इंडिया" कहा जाने लगा।
4. रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों में योगदान: डॉ. कलाम ने भारत को रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उन्होंने पोखरण-2 परमाणु परीक्षण (1998) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन सका।
मुख्य विषय और संदेश
यह पुस्तक आत्म-निर्भरता, वैज्ञानिक सोच, मेहनत और देशभक्ति का संदेश देती है। इसमें डॉ. कलाम के विचारों को प्रमुखता दी गई है, जैसे कि:
1. स्वप्न देखना और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना: उनका मानना था कि "सपने वे नहीं होते जो हम सोते समय देखते हैं, बल्कि वे होते हैं जो हमें सोने नहीं देते।"
2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व:
उन्होंने हमेशा युवाओं को विज्ञान और नवाचार के प्रति प्रेरित किया।
3. असफलताओं से सीखना: उन्होंने जीवन में कई असफलताओं का सामना किया, लेकिन वे कभी हतोत्साहित नहीं हुए।
4. टीम वर्क और नेतृत्व: उन्होंने बताया कि कैसे एक अच्छा लीडर अपनी टीम को सफलता की ओर ले जाता है।
kumari asav ke fayde in hindi
[edit]आज हम बात करेंगे आयुर्वेद में प्रचलित और बहुत मानी हुई द्रव ओषधि कुमारी आसव के बारे में। ये एक सिरफ के रूप में उपलब्ध है इसका मुख्य कार्य पेट से संबंधी बीमारियों और पाचन से सम्बन्धी बीमारियों को जड़ से ख़त्म करने से है। जैसा की इसके नाम से ही स्पस्ट ही कुमारी अर्थात एलोवेरा, तो इसका मुख्य घटक एलोवेरा है Kumari asav एक आयुर्वेद की दवाई है तो kumari asav ke fayde in hindi में जानने से पहिले हम आसव के बारे में जानेगे उस के बाद में kumari asav ke fayde in hindi के गुण, लाभ, और इसकी हानि के बारे में जानेगे। तो सटार्ट करते है।
आसव क्या है: Asav kya hai:
आसव बहुत प्राचीन आयुर्वेदिक ओषधि है जिसकी खोज भारत में हुई थी आयुर्वेद में जो भी ओषधि बनाई जाती है वे कई प्रकार से बनाई जाती है उनमे से ही आयुर्वेद में ओषधि बनाने का इक प्रकार आसव है। जो द्रव की अवस्था में होता है। इसे आयुर्वेद में आसव कहा जाता है।
आसव कैसे बनता है। :asav kaise banta hai:
आसव बनाने की 2 विधि है 1: उबाल कर बनाना 2. बिना उबाले बनाना
1. उबाल कर बनाना : इस विधि में जब भी आसव बनाया जाता है तो उसको पहिले धीमी धीमी आंच में उबाला जाता है ताकि उसमे ओषधिया डाली है उनके गुण अच्छे से द्रव में मिल सके और उसके बाद उसे इक मिटटी के बर्तन में डाल कर के ऊपर से अच्छे से ढक कर कुछ दिन के लिए जमीन के अंदर रख देते है।
2. बिना उबाले बनाना: आसव बनाने के लिए ओषधियो को इक मिट्टी के बर्तन जिसे साधारण भाषा में मटका भी कहते है उसमे भर कर और ऊपर से अच्छे से ढक कर के कुछ समय के लिए जमींन के अंदर रख दिया जाता है अब जमीन के अंदर रखे रखे उसमे जो भी ओषधि डाला द्रव है इसमें कुछ रिएक्शन होने के कारण से इक ओषधि का रूप ले लेता है इस प्रकार आसव बनाया जाता है।
आसव के लाभ :asav ke fyade
आसव के लाभ के बारे में ऋषि सुश्रत अपनी किताब सुश्रुत सहिता के ४५ वे अध्याय में १९४ वे श्लोक में इस प्रकार से वर्णन करते है की जिंतने भी ये आसव है इनमे कई प्रकार की ओषधि को डाल कर बनाया जाता है और इसमें कई प्रकार के आयुर्वेदिक तरिके से प्रोसेस किया जाता है इसलिए इसके जो गुण अन्य किसी भी तरल या द्रव से कही अधिक होती है।
1. अनेक दोषो में कारगर:
अगर सरीर में वात, पित्त, कफ जैसे दोष हो या इक से ज्यादा दोष भी हो उनको खत्म करने में आसव का बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होती है। आसव त्रिदोष को पूर्ण रूप से नियंत्रित करने में बहुत ही कारगर है और इसका इक फायदा ये भी है की इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं है आप चाहे जितने दिन नियत्रित मात्रा में सेवन कर सकते है।
2.रक्त से जुडी समस्याओ में कारगर :
हमारे सरीर में रक्त द्रव अवस्था में होता है और जो प्लाज्मा है वो भी द्रव अवस्था में है तो जो भी रक्त और प्लाज्मा जो भी द्रव हमारे सरीर में है अगर उनमे कोई भी बीमारिया हो तो आसव उसमे बहुत अच्छा प्रभाव दिखाता है।
3. पाचन शक्ति बढ़ाता है :
जिस भी वयक्ति को भूक कम लगती हो या ना के बराबर लगती हो तो उनके लिए रामबाण ओषधि के रूप में काम करता है। इसके सेवन से पाचन शक्ति में सुधार होता है।
4. पेट साफ़ करने में मददगार :
बहुत लोगो को पेट से संबंदित सभी बिमारियो को ठीक करने में बहुत सहायक है।
अब हम देखेंगे की kumari asav ke fayde in hindi क्या है और किन किन बीमारियों में काम करता है और कैसे इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
kumari asav ke ghatak:
कुमारी आसव में मुख्य रूप से अलोएवेरा का जूस , गुड़ , लोह भसम , नागकेसर, हरीतिकी, पुष्कर और अन्य जड़ी बुटिया शामिल है और चीनीमिट्टी के बर्तन में इसको 1 महीने डालकर रखा जाता है उसके बाद निकल कर छान कर इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही जो बड़ी कम्पनिया होती है वे बड़ी सागवान की बड़ी टंकी बनवाती है और उसमे 1 महीने तक भरकर रखते है
कुमारी आसव की मात्रा : quantity of kumari asav in hindi
कुमारी आसव का उपयोग करने के लिए 4 से 6 चम्मच यानि 15 से 20mg भोजन के बाद इस्तेमाल कर सकते है
कुमारी आसव के सेवन का तरीका:kumari asav lene ka tarika
जितनी मात्रा में कुमारी आसव डाली जाती है समान मात्रा[1] read more