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अभिषेक मिश्रा
कवि अभिषेक मिश्रा की एक तस्वीर
कवि अभिषेक मिश्रा की एक तस्वीर
Born2003
चकिया, बैरिया, बलिया, उत्तर प्रदेश
Occupationकवि, लेखक, शायर
Languageहिंदी
Educationपरास्नातक (वाणिज्य), सतीश चंद्र महाविद्यालय, बलिया
Notable worksऑपरेशन सिंदूर: एक सशक्त उत्तर, मैं पंछी तेरे आंगन की, पुरुष सशक्तिकरण की पुकार, मंजिल

अभिषेक मिश्रा (जन्म 2003, चकिया, बैरिया, बलिया, उत्तर प्रदेश) एक उभरते हुए हिंदी कवि, लेखक और शायर हैं, जो समकालीन सामाजिक विषयों, राष्ट्रभक्ति, युवाओं के संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं पर केंद्रित रचनाएँ लिखते हैं। इन्होंने अपने साहित्यिक सफर की शुरुआत कॉलेज जीवन में की और तभी से कविता, लेखन और सामाजिक विमर्श में सक्रिय हैं।

लेखक के विषय में

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अभिषेक मिश्रा एक ऐसे युवा कवि हैं जिन्होंने बहुत कम उम्र में अपने गांव से निकलकर, बेहतर शिक्षा और विचारों की खोज में बलिया शहर का रुख किया। वे मात्र अपनी शिक्षा को लेकर ही नहीं, बल्कि समाज और देश के भविष्य को संवारने की सोच लेकर आगे बढ़े। इनका मानना है कि एक छात्र का दायित्व सिर्फ अंक लाना नहीं, बल्कि अपने विचारों से समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाना भी है।

एक सामान्य ब्राह्मण परिवार से संबंध रखने वाले अभिषेक ने सीमित संसाधनों के बावजूद कभी भी अपनी सोच को सीमित नहीं होने दिया। इनके पिता श्री शिवजी मिश्रा ने सदैव उन्हें उच्च मूल्यों और शिक्षा के प्रति समर्पण की प्रेरणा दी। यही कारण है कि वाणिज्य विषय के छात्र होते हुए भी अभिषेक का रुझान साहित्य की ओर गहराई से बढ़ा।

इनकी रचनाएं युवा पीढ़ी को संघर्ष से जूझने, आत्मनिर्भर बनने और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझने के लिए प्रेरित करती हैं। वह मानते हैं कि साहित्य केवल अभिव्यक्ति नहीं, एक दिशा है — जो समाज को बदल सकती है।

शिक्षा और पृष्ठभूमि

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अभिषेक की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्थानीय विद्यालयों में हुई। इसके पश्चात इन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक एवं परास्नातक की शिक्षा बलिया के सतीश चंद्र महाविद्यालय से पूरी की। इसी दौरान उनकी साहित्यिक यात्रा ने गति पकड़ी।

साहित्यिक रुझान और प्रेरणा

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डॉ. केदारनाथ सिंह जैसे महान कवियों के गांव से संबंध रखने वाले अभिषेक के लिए साहित्य सिर्फ रुचि नहीं, एक उत्तरदायित्व है। कॉलेज जीवन में उन्होंने जब पहली बार अपनी कविता *"मंजिल"* लिखी, तब से आज तक वे सामाजिक सरोकारों, युवा चेतना और राष्ट्रप्रेम से जुड़े विषयों पर लगातार लिखते आ रहे हैं।

प्रमुख रचनाएँ

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अमर उजाला काव्य संग्रह

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  • **ऑपरेशन सिंदूर: एक सशक्त उत्तर** – भारतीय सेना के शौर्य और राष्ट्रीय सुरक्षा पर आधारित
  • **बचपन की वो यादें** – मासूमियत और गुज़रे लम्हों की भावनात्मक यात्रा
  • **पुरुष सशक्तिकरण की पुकार** – पुरुषों के सामाजिक मनोबल पर केंद्रित
  • **मंजिल** – आत्मसंघर्ष और सफलता की प्रेरक यात्रा

Likhantu.com

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  • **उठ जाग खड़ा हो नए भारत के युवा** – स्वतंत्रता दिवस विशेष रचना
  • **परीक्षार्थी का दर्द** – छात्र जीवन की मानसिक स्थिति पर आधारित
  • **मैं पंछी तेरे आंगन की** – बेटी के विदा होते भावों को समर्पित

सामाजिक दृष्टिकोण

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अभिषेक मिश्रा का मानना है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, और एक कवि की जिम्मेदारी है कि वह समाज की अच्छाई-बुराई दोनों को उजागर करे। वे अपनी कविताओं के माध्यम से युवाओं को जागरूक करने, स्त्री सम्मान बढ़ाने और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व को जागृत करने का प्रयास करते हैं।

देखें भी

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श्रेणियाँ

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